
देहरादून। राजधानी देहरादून स्थित प्रतिष्ठित संस्थान गुरु राम दास इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (GRD-IMT) में बौद्धिक संपदा, नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के अग्रणी शैक्षणिक और तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, तथा नवाचार क्षेत्र में अग्रणी बिगशिप टेक्नोलॉजीज के विशेषज्ञों ने सहभागिता की। इस कार्यशाला में विभिन्न कॉलेजों और रिसर्च संस्थानों से आए 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और विषय से संबंधित गहन ज्ञान अर्जित किया।
कार्यशाला का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे संस्थान के वाइस चेयरमैन सरदार इंदरजीत सिंह ओबेरॉय, सरदार प्रबजी ओबेरॉय, महानिदेशक डॉ. पंकज चौधरी, आईआईटी रुड़की के मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष डॉ. रजत अग्रवाल, बिगशिप टेक्नोलॉजीज के संस्थापक श्री अंकित जैन एवं गौरव जैन, आईआईटी दिल्ली के नवाचार एवं प्रौद्योगिकी फाउंडेशन से श्री अंकित सक्सेना, डीएससीई फाउंडेशन की निदेशक सुश्री रीमा मेहंदीरत्ता ने संयुक्त रूप से किया। वक्ताओं ने अपने-अपने अनुभवों और विचारों को साझा करते हुए बताया कि बौद्धिक संपदा की सुरक्षा, नवाचार की प्रोत्साहना और प्रौद्योगिकी का सही हस्तांतरण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। संस्थान के वाइस चेयरमैन सरदार इंदरजीत सिंह ने एकेडेमिया, इंडस्ट्री और इनोवेशन के समन्वय को समय की मांग बताया।
उन्होंने कहा कि यदि हम तकनीकी क्रांति का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो शोध, नवाचार और पेटेंट पर विशेष ध्यान देना होगा। महानिदेशक डॉ. पंकज चौधरी ने सभी विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए कहा कि इन संस्थानों की कड़ी मेहनत और लगन ही देश को वैश्विक नवाचार मानचित्र पर स्थापित कर सकती है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने विचारों और शोध के माध्यम से भारत को 2047 तक विश्वगुरु बनाने की दिशा में योगदान दें। उन्होंने उत्तराखंड के ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों को तकनीकी क्रांति से जोड़ने के लिए लगातार काम करते रहने की शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम में शिक्षकगण, छात्र-छात्राएँ और विभिन्न संस्थानों से आए शोधकर्ता भी उपस्थित रहे।