
देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से पहले खच्चरों में एक्काइन इंफ्लुएंजा के लक्ष्ण मिले हैं। जिसके बाद चारधाम यात्रा में आने वाले 23 हजार से अधिक खच्चरों की स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दी गई है। सभी खच्चरों की जांच के बाद टीकाकरण शुरू किया जा रहा है। बिना स्वास्थ्य प्रमाणपत्र बनाए किसी भी खच्च को, मालिक चारधाम यात्रा में शामिल नहीं कर पाएगा। यात्रा के दौरान केदारनाथ, यमुनोत्री व गोविंदघाट की यात्रा में करीब 15 हजार से अधिक खच्चर भी शमिल होते हैं। इन तीनों धामों में ही पैदल रास्ता है, जहां यात्री खच्चरों की मदद से भी यात्रा में हिस्सा लेते हैं। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने भी इस संबंध में समीक्षा बैठक में खच्चरों की जांच के निर्देश दे दिए हैं। चारधाम यात्रा से पहले हर साल खच्चरों की स्वास्थ्य जांच की जाति है। हाल में ही रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी व बागेश्वर जिलों में 422 घोड़े-खच्चरों के नमूने लिए गए थे। इनमें से रुद्रप्रयाग जिले में 18 में एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई। रुद्रप्रयाग जिले के वीरोन व बस्ती गांव में 18 घोड़े-खच्चरों में संक्रामक रोग एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई है। इसके बाद चारधाम यात्रा के लिए घोड़े-खच्चरों के पंजीकरण रोक दिए गए। साथ ही इस रोग से पीडि़त घोड़े-खच्चरों को क्वारंटीन किया गया है। रूद्रप्रयाग के जिला वेटनरी अधिकारी डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि चारधाम यात्रा से पहले खच्चरों की जांच की जाति है। जिले में कुछ खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई है। जिसकी मॉनीटरिंग की जा रही है। फिल्हाल यात्रा के लिए खच्चरों का पंजीकरण नही ंकिया जा रहा है। सभी के पूरी जांच होगी, स्वास्थ्य प्रमाणत्र बनेगा जिसके बाद ही उन्हें यात्रा का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी।
घोड़ों में फैलने वाला खतरनाक वायरस
एक्वाइन इन्फ्लुएंजा एक वायरल रोग है जो मुख्य रूप से घोड़ों, खच्चरों और गधों को प्रभावित करता है। यह बहुत संक्रामक होता है और श्वसन तंत्र पर हमला करता है। जिससे घोड़ों में तेज बुखार व नाक बहने की समस्या होती है।घोड़े भोजन और पानी कम कर देते हैं। जिससे सांस लेना भी कठिन हो जाता है। यह रोग हवा, संक्रमित घोड़ों की नाक के स्राव, दूषित उपकरणों और इंसानों के संपर्क से फैलता है। इससे बचाव के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी है। संक्रमित घोड़े से दूसरे तक यह संक्रमित होता है। इसकी प्रसार की दर 80 से 90 प्रतिशत तक है।वर्ष 2009 में चारधाम यात्रा में संचालित होने वाले लगभग 175 घोड़े-खच्चरों की मौत इस बीमारी से हो गई थी।
23 हजार घोड़े अलग अलग जिलों में
रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, बागेश्वर व चमोली जिलों के गांवों में घोड़े-खच्चर की संख्या 23,120 है। इनमें से ही चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण किया जाता है। इसके अलावा कुछ घोड़े-खच्चर उत्तर प्रदेश समेत अन्य सीमावर्ती राज्यों से भी आते हैं। अधिकतर मामलों में इस वायरस का इंसानों पर असर नहीं होता। 30 अप्रैल से शुरू हो रहीचारधाम यात्रायमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुलने जा रहे हैं। इसी के साथ चारधाम यात्रा की भी शुरूआत हो जाएगी। यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 20 मार्च से शुरू हो चुकी है। अब तक करीब 9 लाख से अधिक श्रद्धालु यात्रा में आने के लिए अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। सबसे ज्यादा भीड़ केदारनाथ यात्रा पर आने वाले यात्रियों की है।