
हल्द्वानी: तापमान बढ़ने के साथ ही जंगल में आग की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। वन विभाग जंगल की आग पर काबू पाने के लिए तमाम संसाधन और कर्मचारियों की नियुक्ति का दावा कर रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि आग पर काबू पाने के लिए सबसे जरूरी विभाग के अधिरामपुर रोड बेलबाबा के पास भाखड़ा रेंज और हल्द्वानी रेंज एक दूसरे से मिलती हैं। बीते साल जून में फायर सीजन में इस क्षेत्र के जंगलों में भयंकर आग लगी। रामपुर रोड पर ट्रैफिक तक रोकना पड़ा।
तराई केंद्रीय वन विभाग के अधिकारियों को जब इस घटना के बारे में सूचना दी गई तो पहले उन्होंने कंट्रोल बर्निंग की बात कहकर घटना से पल्ला झाड़लिया। जब फैलती आग का फोटो भेजा गया तो हल्द्वानी रेंज के रेंज अधिकारी ने घटना को भाखड़ा रेंज के जंगलों का बताया और भाखड़ा रेंज के अधिकारियों ने हल्द्वानी रेंज का बताया।
तालमेल नहीं होने के चलते घंटों जंगल जलते रहे। वन प्रभाग में इस जगह पर इस तरह के आधा दर्जन से ज्यादा मामले हो चुके हैं। रानीबाग क्षेत्र में फतेहपुर रेंज और मनोरा रेंज की सीमाएं मिलती हैं। शुक्रवार रात को रानीबाग क्षेत्र में चौहानपाटा के पास की जंगलों में भीषण आग लग गई। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि दिन में भी आग लगी थी जिस पर काबू पा लिया गया था। फिर शाम को करीब 6 बजे आग भड़क उठी। उन्होंने मनोरा रेंज वह फतेहपुर रेंज के अधिकारियों को जंगल में आग लगने की सूचना दी।दोनों ही रेंज के अधिकारियों ने एक दूसरे की रेंज का मामला कहकर टाल दिया। इस बाबत जब उच्च अधिकारियों तक सूचना पहुंची तो 11 बजे वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।
ररात पूर्व में वन्यजीवों के हमले या मौत और आग की घटना किस में हुई, इसे लेकर असमंजस की स्थिति रहती थी। लेकिन अब इसे लेकर सख्त दिशा निर्देश हैं। वन प्रभाग की सभी रेंज और उससे लगी दूसरे वन प्रभाग की रेंज की टीम को पूरी तरह से समस्या के समाधान के लिए उतरने के निर्देश हैं। जो अधिकारी कर्मचारी मामले में लापरवाही बरतेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। – डॉ धीरज पांडे, सीसीएफ कुमाऊं