
हल्द्वानी। बढ़ती गर्मी से तापमान के साथ-साथ अब जंगल में बने जल स्रोत सूख रहे हैं। वन विभाग ने इस साल भीषण गर्मी को देखते हुए तराई के जंगलों में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए वाटर होल और तालाब तैयार किए हैं। जिससे कि वन्यजीवों की प्यास बुझाई जाएगी। तराई पूर्वी वनप्रभाग वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए करीब 65 छोटे बड़े तालाब और वाटर होल तैयार किए हैं।तराई पूर्वी वन डिवीजन में 9 वन रेंज और क्षेत्रफल 82,489 हेक्टेयर हैं। इस डिवीजन के जंगल नैनीताल जिले से लेकर ऊधमसिंह नगर में उत्तर प्रदेश और नेपाल बॉर्डर तक फैले हुए हैं। तराई के जंगलों में बाघ, तेंदुओं के साथ ही हिरन, घुरड़, हाथी, चीतल, सांभर बड़ी संख्या में वन्यजीव मौजूद हैं. वहीं, पक्षियों की भी 190 से अधिक प्रजातियां हैं। इधर, गर्मी का असर सबसे ज्यादा तराई के जंगलों पर ही होता है। यहां नदी, तालाब, पोखर आदि जल स्रोतों के सूखने के साथ ही वनाग्नि की घटनाएं भी होती हैं।मौसम विभाग ने इस वर्ष भीषण गर्मी होने की अनुमान लगाया है।
जिसे देखते हुए वन विभाग ने तराई के जंगलों में मानव निर्मित तालाब बनाए हैं। इन तालाबों में पानी भर दिया गया है। इसकी नियमित निगरानी भी की जा रही है। डीएफओ तराई तराई वन प्रभाग हिमांशु बागड़ी ने बताया भीषण गर्मी पड़ने की अनुमान है। इसको देखते हुए विभाग ने छोटे और बड़े वाटर होल तैयार किए हैं। बड़े वाटर होल को रिचार्ज करने के लिए ट्यूबवेल लगाए गए हैं। छोटे वॉटर होल को टैंकरों के माध्यम से रिचार्ज किया जा रहा है।डीएफओ तराई तराई वन प्रभाग हिमांशु बागड़ी ने बताया कई बार देखा जाता है कि जंगलों में आग लगने के दौरान पानी नहीं मिल पाता है। जिससे आग को बुझाया जा सकेगा।
ऐसे में बड़े वाटर होल और ट्यूबेल आग की घटना को रोकने के लिए भी कारगर होंगे। जंगल में अगर आग लगती है तो ट्यूबल के माध्यम से समय रहते बुझाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ जगह पर सौर ऊर्जा से संचालित ट्यूबल भी लगाए गए हैं। जिसके माध्यम से वाटर होल रिचार्ज हो रहे हैं।उन्होंने बताया जंगल में वन्यजीवों के लिए प्राप्त पानी होने से मानव वन जीव संघर्ष की घटना बढ़ाने की संभावना कम रहती है।