
दीपक अधिकारी
हल्द्वानी
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में शिक्षा विभाग की नौकरी फर्जी बीएड डिग्री के सहारे हासिल करने वाले एक और शिक्षक को न्यायालय ने दोषी करार देते हुए सख्त सजा सुनाई है। जनता इंटर कॉलेज देवनगर में तैनात रहे लक्ष्मण सिंह रौथाण को न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने पांच साल के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। रौथाण पर आरोप था कि उन्होंने वर्ष 2003 की फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी हासिल की थी। जांच में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से यह पुष्टि हुई कि उनके नाम से कोई भी बीएड डिग्री जारी नहीं की गई थी। शिक्षा विभाग की आंतरिक जांच और एसआईटी की जांच के बाद रौथाण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ।न्यायालय ने उन्हें आईपीसी की धारा 420 के तहत 5 वर्ष का कठोर कारावास व 10 हजार रुपये का जुर्माना, और धारा 471 के तहत 2 वर्ष का कठोर कारावास तथा 5 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में उन्हें अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। सरकारी पक्ष की पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चंद्र आर्य ने की। उन्होंने बताया कि अब तक जनपद रुद्रप्रयाग में 26 फर्जी शिक्षकों को अदालत सजा सुना चुकी है।प्रशासन ने शिक्षा सचिव और गृह सचिव को इस आदेश की प्रतिलिपि भेजते हुए यह स्पष्ट किया है कि संबंधित जिम्मेदार शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने बिना सत्यापन के नियुक्ति, स्थायीकरण और प्रोन्नति प्रदान की थी।